प्रश्र 1 कवि ने कठपुतली को प्रतीक के रूप में क्यों लिया है।
उत्तर – कठपुतली कविता राजेंद्र उपाध्याय द्वारा रचित एक आलोचनात्मक व्यंग इसमें उन्होंने कठपुतली को प्रतीक मानकर मनुष्य की आलोचना की है।
वे कहते है की जिस प्रकार कठपुतली का नियंत्रण उसके हाथ में नहीं होता वे किसी और के इशारों पर कार्य करती है। ठीक उसी प्रकार
मनुष्य का नियंत्रण भी उसके हाथ नही है। वे कठपुतली की तरह ही किसी और के इशारों पर कार्य करता है। यानी वह प्राधीन हो चुका है।
अतः कठपुतली और मनुष्य के बीच समानता के कारण ही इसे प्रतीक के रूप में लिया गया है l
प्रश्न 2 कविता को पढ़ते वक्त कौन – कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए किन्ही चार का उल्लेख करे
उत्तर . कविता को पढ़ने का ढंग उसे आसान या कठिन बनाता है। इसलिए कविता को पढ़ते समय हमे निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए ।
1. सस्वर पाठ – कविता का सदैव सस्वर पाठ किया जाना चाहिए इससे उचित यति – गति , लय के कारण कविता के अर्थ को समझने में बहुत सहायता मिलती है।
2. कवि संक्षिप्त परिचय – कविता को पढ़ते समय अगर संभव हो तो कवि का संक्षिप्त परिचय भी प्राप्त कर लिया जाए । इससे कविता में निहित रस , भावनात्मक तत्वों को समझने में सहयता मिलती है।
3. भाषा को समझने का प्रयास – कविता के भाषा समझने का मतलब सिर्फ शब्दो अर्थ जानना ही नही अपितु चित्रात्मकता तथा भावनात्मकता की अभिव्यक्ति का भी विष्लेषण किया जाना चाहिएं
4. कलात्मक पक्ष को समझना –
अलंकार, छंद , भाषा आदि के माध्यम से कविता के कलापक्ष को भी समझने का प्रयास किया जाना चाहिएं क्योंकि इसके इसके बिना कविता को गहराई तथा विस्तार से नही समझा जा सकता
प्रश्न 3 यदि आप किसी कार्यालय में नौकरी करने जाते है। और वहाँ किसी दिव्यांग के साथ कार्य करते है। तो आप किन किन बातों बातों का ध्यान रखेंगे । ” जिजिविषा की विजय ” पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर . अगर हम किसी कार्यालय में नौकरी करने जाते है। और वहाँ अगर कोई दिव्यांग कार्य करता है। तो हम निम्नलिखित बातों का ध्यान रखेंगे ।
1. अनुकूल वातावरण – हम उस व्यक्ति के लिऐ ऐसे वातावरण / माहौल का निर्माण करेंगे जिससे उसे दिव्यांगता का एहसास ही ना हों।
2. प्रोत्साहित करेगें –कार्य में उसका मन लगता रहे। और उसकी सफलता के लिए हम उसे प्रोत्साहित भी करेंगे
3. कार्य में सहायता – जहाँ तक संभव होगा हम उसके कार्य में भी सहायता करेंगे
प्रश्न 4 परियोजना लेखन की प्रक्रिया विशेष होती है। इसी परिपेक्ष्य में परियोजना लिखते समय हमे किन – बातो का ध्यान रखना चाहिएं
उत्तर – परियोजना किसी समस्या के निदान या किसी समस्या के विषय के तथ्यों को प्रकाशित करने के लिऐ तैयार की गई एक पूर्ण योजना होती है। इसके लेखन की प्रक्रिया भी विशेष होती है। इसी परिपेक्ष्य में परियोजना लिखते समय हमें निम्नलिखित बातो का ध्यान रखना चाहिए ।
1. विषय तैयारी – सर्वप्रथम परियोजना के लिऐ दिए गए विषयो को पूरी तरह से समझना चाहिए
2. आंकड़ों का संकलन – आंकड़ों के संकलन के लिऐ अखबार में छपे विषय सम्बन्धित अखबार पत्रों को एकत्रित करना चाहिए ।
3. चित्रों का संकलन – चित्रों के संकलन के लिऐ रेखाचित्र , पुस्तकों की सहायता लेनी चाहिए
4. स्त्रोत – किसी भी सुनी हुई बात को प्रमाणस्वरूप प्रस्तुत नही करना चाहिएं सही स्त्रोत द्वारा उसकी पुष्टि होने के पश्चात ही उसका उल्लेख करना चाहिएं
साथ ही जो भी आंकड़े , रेखाचित्र, विज्ञापन आदि प्रमाण स्वरूप दिखाए जाएं उनके स्त्रोत यानी उन्हे कहाँ से संकलित किया गया है। वो भी लिखना चाहिएं
5. विष्लेषण – आंकड़ों के आधार पर समस्या के विभिन्न पहलुओं का एक एक करके अलग अलग करके उदाहरणों के रूप में शीर्षको के साथ विष्लेषण भी करना चाहिएं
उपरोक्त वर्णित पांचों बातो का ध्यान लिखते समय रखनी चाहिएं
प्रश्र 5 यदि आप किसी कार्यालय में नौकरी करने जाते है। तो वहां प्ररूपन लिखते समय किन बातो का ध्यान रखेंगे स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – मुख्यत सभी कार्यालयों में पत्रों के माध्यम से ही कार्यवाही की जाती है। जब किसी कार्यालय को कोई पत्र प्राप्त होता है। तो उसका उत्तर के रूप में एक मसौदा यानी कच्चा रूप तैयार किया जाता है। यही प्ररूपण कहलाता है।
उत्तर यदि हम किसी कार्यालय में नौकरी करने जाते है। तो वहां पर प्रारूपण लिखते समय हम निम्नलिखित बातों का ध्यान रखेंगे
1. प्रारूपण लिखते समय हम पत्रा चार की जानकारी जरूर लेंगे क्योंकि यह प्ररूपण का आधार है।
2. प्ररूपण अपने में पूर्ण तथा विषय अधारित हो इस बात का पूरा ध्यान रखेंगे
3. प्ररूपण लिखते समय विचारो को क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित करेंगे साथ ही साथ ही संदर्भ रहित बातो से बचा जाएं इसका भी पूरा ध्यान रखेंगे।
4. यदि प्रश्न का उत्तर दिया जा रहा हो तो वह समुचित तथा सटीक होना चाहिए क्योंकि शुद्धता तथा तथ्यमक्ता का होना सरकारी कामकाज में बहुत आवश्यक है। क्योंकि सरकारी काम में एक छोटी सी भूल भी बहुत महंगी साबित हो सकती है। इस बात का भी हम ध्यान रखेंगे
5. प्रारूपण की भाषा पक्षपात से मुक्त शिष्ट स्पष्ट तथा सरल होनी चाहिएं हम इस बात का भी ध्यान रखेंगे
उपरोक्त वर्णित पांचों तथ्यो का ध्यान हम प्रारूपण तैयार करते समय रखेंगे
प्रश्न 6 विभिन्न संचार माध्यमों में किसी एक माध्यम को चुनिए और उनके विविध रूपों के चित्रों की कटिंग चिपका कर उस माध्यम की विशेषताओं का उल्लेख अपने शब्दो में लगभग 150 शब्दो में कीजिए
उत्तर – किसी भी सूचना विचार या भाव को को दूसरो तक पहुंचाने की प्रक्रिया ही संचार कहलाती है । संचार प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिऐ माध्यम की आवश्यकता होती है। इसमें मुद्रित, श्रव्य तथा दृश्य माध्यम आदि शामिल है।
मुद्रित माध्यम में मुख्यत अख़बार तथा पत्रिकाएं आती है। मुद्रित माध्यमों के विविध रूपों की विशेषता निम्नलिखित प्रकार से है।
( क ) अख़बार
1. लोकतंत्र का चौथा स्तंभ – अखबार को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी माना जाता है। क्योंकि यह लोकतंत्रों के तीन स्तंभ विधानपालिका , कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की गड़बड़ियों को उजागर करता है।
2. लोकतंत्र की रक्षा – अखबार खबरपालक बनकर लोकतंत्र की रक्षा भी करता है।
3. अखबार जन सभा को उसके अधिकारो के प्रति सजग करता है।
4. अखबार हर मुद्दे पर प्रहरी के भाती नजर भी रखता है।
पत्रिकाएं
1. पत्रिकाओं का प्रकाशन अखबारों की तरह रोज नही होता है। यह सावधिक होती है। यानी यह साप्ताहिक , वार्षिक तथा मासिक होते है।
2. सावधिक होने के कारण इन समाचार पत्रों में ताजा सूचनाओं के होने की गुंजाइश कम होती है ।
3. इनके सावधिक होने से सबसे प्रमुख लाभ यह होता है। की सूचनाओं के विस्तार से प्रकाशन तथा विवेचन की सुविधा होती है।
3. चूंकि इन्हें दैनिक अखबारों की तरह प्रकाशन की कोई जल्दी नहीं होती परिणस्वरूप इन्हें खबरों की तह तक जाने का मौका मिल जाता है। और अच्छी तरह से चीजों को प्रस्तुत करते है।