प्रश्न 1. निराला की कविता वह तोड़ती पत्थर को पढ़कर आपके मन में मजदूर वर्ग के प्रति कौन – कौन से विचार प्रकट होते हैं। संक्षेप में प्रस्तुत कीजिए।
( 1 ) प्रतिकूल वातावरण मे कार्य – कविता मे महिला श्रमिक कड़कती धूप मे कार्य कर रही होती है.। इससे हमें पता चलता है। की मजदूर को प्रतिकूल वातावरण मे कार्य करना पड़ता है।
( 2) कार्य के प्रति विवशता – कविता मे श्रमिक महिला जब निराला जी को देखती है। तो वो अपने कार्य के प्रति किसी भी प्रकार का कोई विरोध हीन भावना व्यक्त नहीं करती हैँ। वापस काम मे लग जाती है। इससे हमें पता चलता है। की मजदूर वर्ग अपने कार्य के प्रति विवश होते है.। वो किसी से भी विरोध नहीं कर सकते
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प्रश्न. 2 “जिजीविषा की विजय में प्रो. रघुवंश की उन दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनसे आप सर्वाधिक प्रभावित हैं।
उत्तरजिजीविषा की विजय पाठ के लेखक कैलाश चंद्र भाटिया जी है। इसमें एक दिव्यांग व्यक्ति प्रो. रघुवंश सहाय जी का वर्णन है। इस पाठ के आधार पर हम रघुवंश जी की निम्नलिखित विशेषताओं से प्रभावित है ।
(1) मजबूत संकल्पशक्ति – रघुवंश सहाय जी ने हाथो से विकलांग होने के बाद भी उन्होंने अपनी संकल्पशक्ति को कभी कम नहीं होने दिया लिखना जारी रखाऔर इसी संकल्पशक्ति के बल पर उन्होंने तंतुजाल माया जाल जैसी कृतिओ की रचना की।
(2.) स्वाभिमानी तथा स्वच्छ मन- रघुवंश जी एक स्वाभिमिनी तथा स्वच्छ मन के – मालिक थे। पाठ के आधार पर वे जब कभी भी रिक्शा मे कही भी जाते थे। तो वे पहले ही पैसे निकाल कर रख लेते थे। ताकि उनके साथ वाला उनके पैसे ना दे दें। यह उनके स्वाभिमानी तथा स्वच्छ मन को इंगित करता है।
प्रश्न 03 की किन्हीं दो विशेषताओं को अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए
उत्तर. कुटज हिमालय की विरला पहाड़ियों में उत्पन्न होने वाला एक पौधा है। कुटज की दो विशेषताओ का अपने शब्दों मे वर्णन निम्नलिखित प्रकार से है
( 1 ) अपराजेय जीवनशक्ति – कुटज ऐसे शुष्क स्थान पर उगता है। जहाँ कोई डूब भी उगने की चेष्टा नहीं कर सकता। परन्तु ऐसे स्थान पर भी कुटज सभी सभी कठिनाइयों से लड़ते हुए अपने अपराजेय जीवनशक्ति की घोषणा करता है।
(2) स्वालम्बी तथा स्वाभिमनी – स्वाभाव कुटज ऐसे स्थान पर उगता है। जहाँ खाद, मानव श्रम, कीटनाशक आदि की सहायता से भी कोई पौधा नहीं उगाया जा सकता परन्तु ऐसे स्थान पर भी कुटज बिना किसी सहायता के रहता है। यह उसके स्वाभिमानी तथा स्वालम्बी स्वाभाव को दर्शाता है।
प्रश्न 4 यक्ष युधिष्ठिर संवाद में अनेक दार्शनिक प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं। किन्हीं चार शब्दों में कीजिए।
उत्तर महाकाव्य में अनेक प्रकार की कथाएँ संकलित है। ” यक्ष – युधिष्ठिर संवाद ” महाभारत महाकाव्य के वन पर्व मे संकलित है। इसमें बगुले के रूप में साक्षात् “धर्मराज ” युधिष्ठिर से परीक्षा लेने के लिए उनसे प्रश्न पूछते है यक्ष युधिष्ठिर संवाद मे अनेक दार्शनिक प्रश्न पूछे जाते है उनमें से चार का उल्लेख निम्नलिखित प्रकार से है।
(1) यक्ष में दुःख क्यों है?
युधिष्ठिर उत्तर: संसार के दुःख का कारण लालच, स्वार्थ और भय हैं।
टिप्पणी : लालच (तृष्णा), स्वार्थ तथा ये तीनो ही संसार मे दुख के वास्तविक कारण है। क्योंकि व्यक्ति की इच्छाएं ( तृष्णा ) कभी भी समाप्त नहीं होती है। जिसके कारण वह हमेशा दुखी रहता है और एक व्यक्ति अपने स्वार्थ और मोह के लिए दूसरों को हानि पहुंचाता है और उन्हें भी दुखी करता है। इसके बाद अंत भयभीत व्यक्ति भी कभी भी प्रसन्न नहीं होता। अतः तीनो ही स्थितियों के आधार पर हम यह कह सकते है की संसार के सभी दुखो का कारण लालच, स्वार्थ और भय ही है।
(2) यक्ष प्रश्न: भाग्य क्या है?
युधिष्ठिर उत्तर:हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है। यह परिणाम ही भाग्य है। आज का प्रयत्न कल का भाग्य है।
टिप्पणी : भाग्य हमारे अपने कर्मों का ही फल होता है। कुछ लोग किसी कार्य मे यदि असफल हो जाते है। तो अपने भाग्य को दोष देते है और किसी कार्य मे यदि सफल हो जाते है तो अपने भाग्य को ही श्रेय देते है। परन्तु ऐसा उनके अपने ही कर्मो के कारण होता है.
(3) यक्ष प्रश्न: जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है ?
युधिष्ठिर उत्तर – यक्ष: जिसने स्वयं को उस आत्मा को जान लिया वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है।
टिप्पणी: मैं कौन हूं और मेरा असली स्वरूप क्या है। इस सत्य को जानने वाला हूं ही जन्म और मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। यह जानने के लिए अष्टांग योग का पालन करना चाहिए।
(4 ) यक्ष प्रश्न:- सुख और शान्ति का रहस्य क्या है?
युधिष्ठिर उत्तरः सत्य, सदाचार, प्रेम और क्षमा सुख का कारण हैं। असत्य, अनाचार, घृणा और क्रोध का त्याग शान्ति का मार्ग है।
टिप्पणी : असत्य बोलकर व्यक्ति दुख, चिंता या तनाव में रहने लगता है। बुरा व्यवहार करके भी व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता। परिवार या किसी व्यक्ति के प्रति प्रेम नहीं है तो भी सुखी नहीं रह सकता। यदि किसी ने उसके साथ कुछ किया है। तो क्षमा न करके उससे बदला लेने की भावना रखने पर भी वह सुखी नहीं रह सकता।
उपरोक्त वर्णित चारों बिंदु यक्ष युधिष्ठिर संवाद के दार्शनिक प्रश्नों की अर्थ ( टिप्पणी ) सहित पुष्टि करते है।